मधुर जिन्दगानी by Dilip Gajjar Posted on જાન્યુઆરી 2, 2009 by Dilip Gajjar तुझे प्यार करना तेरा प्यार पाना यही िजन्दगानी परम दिव्यताका मधुर गीत गाना यही जिन्दगानी यहांकी हरेक चीज आनी है जानी और फानी है फीर भी समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यही जिन्दगानी नजरको मिलाकर सभी गम भूलाकर ईसी पलमें जी लुं नही सांसोका है कोई भी भरोसा यही जिन्दगानी सभीकुछ अधुरा अलग था जहांमें मधुर अब सभीकुछ िपयाके मिलनसे ना कुछ भी पुराना यही जिन्दगानी चमनमें बहारे तो आती है जाती खुशी और खीजांकी फूलोसे ही सीखा सदा मुस्कुराना यही जिन्दगानी यहा भीड है फीर भी सूने नगरकी सीमा पार करके समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यह िजन्दगानी मिला है जो बाहरसे बाहर रहेगा पडा धन रहेगा भीतर झांक पा लु खुशीका खजाना यही िजन्दगानी अजीबोगरीब सत मिले रास्तेमे नही ठुकराना ना मजबुरीओको गलेसे लगाना यही जिन्दगानी सृजनशीलता कम कभी हो न पाये तो संहार हो कम जीवनमंच पर ही सदा छाये रहना यही जिन्दगानी हो मानव्यनिर्झरसा सा जीवन तुम्हारा परम लक्षय पाने है अवसर मिला यह ना यूही गवानां यही जिन्दगानी दिलीप गज्जर Share this:TwitterFacebookRedditLike this:Like Loading... Related
मिला है जो बाहरसे बाहर रहेगा पडा धन रहेगा भीतर झांक पालु खुशीका खजाना यही िजन्दगानी Dilip – its a surprise to me that alongwith Gujarati poetry, you have written such a nice poem in Hindi as well. ABHINANDAN Siraj Patel “Paguthanvi” Reply ↓
है अवसर मिला यह ना यूही गवानां यही जिन्दगानी દરેક પળ દિલચશપીથી જીવી જવાની ખેવના- દિલીપભાઇને અભિનંદન. પણ, समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यही जिन्दगानी નિરાશાજનક કેમ? થોડુ કઠે એવું છે. Reply ↓
यहांकी हरेक चीज आनी है जानी और फानी है फीर भी समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यही जिन्दगानी नजरको मिलाकर सभी गम भूलाकर ईसी पलमें जी लुं नही सांसोका है कोई भी भरोसा यही जिन्दगानी sundar gazal. Reply ↓
मिला है जो बाहरसे बाहर रहेगा पडा धन रहेगा
भीतर झांक पालु खुशीका खजाना यही िजन्दगानी
Dilip – its a surprise to me that alongwith Gujarati poetry, you have written such a nice poem in Hindi as well. ABHINANDAN
Siraj Patel “Paguthanvi”
वाह क्या बात है!
You have written such a nice gazal in Hindi too. Bina
है अवसर मिला यह ना यूही गवानां यही जिन्दगानी
દરેક પળ દિલચશપીથી જીવી જવાની ખેવના-
દિલીપભાઇને અભિનંદન.
પણ,
समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यही जिन्दगानी
નિરાશાજનક કેમ? થોડુ કઠે એવું છે.
Bravo. True reflection of life with a tint of melony.
यहांकी हरेक चीज आनी है जानी और फानी है फीर भी
समन्दरमें गहरे मुझे डुब जाना यही जिन्दगानी
नजरको मिलाकर सभी गम भूलाकर ईसी पलमें जी लुं
नही सांसोका है कोई भी भरोसा यही जिन्दगानी
sundar gazal.