
चाहता हूं
आ तुझे मै आजमाना चाहता हूं
सिर्फ थोडा प्यार करना चाहता हूं
जो कमाया है उसे ठोकर लगाकर
प्यारमें सबकुछ गवांना चाहता हूं
हार भी जाउ तो गम होगा न मुझ्को
जानकी बाजी लगाना चाहता हूं
पढ सके तो पढ खूली किताब हुं मै
ढाई अक्षर ही मै लिखना चाहता हूं
जानता हुं तुं रतन अनमोल कितना
मै तुझे पाकर ना खोना चाहता हूं
तुं मुझे भूला भी दे कुछ गम नहीं है
मै तुझे ना भूल जाना चाहता हूं
तुं टहाकेदार हसती थी लुभाती
फीर तेरी झनकार सूनना चाहता हूं
मेरे सपनो में चली आती तुं अक्सर
तेरे सपनोमें मै आना चाहता हूं
तुं कोई मंदिर जडी मूरत नही है
इसलिये ही सर झूकाना चाहता हूं
साधना आराधना आनन्द्की वह
चन्द घडीयां मै भी पाना चाहता हूं
दोसती संशय मिटा दे क्या करु ?
यार जो रुठा मनाना चाहता हूं
दिलमें तु बस जा अगर अच्छा लगे
ना कीसीको मै फसाना चाहता हूं
तुं सूने या ना सूने फीर भी सखा,
नाम तेरा गुनगुनाना चाहता हूं
तेरे ही दीदार को आंखे खूली है….
फीर मै लम्बी नींद सोना चाहता हूं
दिलीप गज्जर
આદરણીય દિલીપભાઈ ખુબજ સારી એક વધુ રચના માળવા મળી શબ્દો જડતા નથી કેવી અનુભૂતિ થય છે એક નજર માટે જિંદગી કુરબાન યારી હોય તો આને જ યારી કહેવાય.આજે ઝંઝીર ફિલ્મ નું ગીત યાદ આવ્યું યારી હે ઈમાન મેરા યાર મેરી જીદગી …શુભેછા સહ.
शुभान अल्लाह
दूरकी आवाझ गुंजन होने लगी
मुक़द्दर आजमाना चाहता हूँ
तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ
मुक़द्दर आजमाना …
मुझे बस प्यार का इक जाम दे दो
मैं सब कुछ भूल जाना चाहता हूँ
मुक़द्दर आजमाना …
घड़ी भर को मेरे नज़दीक आओ
ज़रा आँखों से आँखें तो मिलाओ
मैं हाल\-ए\-दिल सुनाना चाहता हूँ
मुक़द्दर आजमाना …
बनाना है मुझे एक आशियाना \-२
जो तुम चाहो तो मिल जाए ठिकाना
तुम्हारे दिल में आना चाहता हूँ
मुक़द्दर आजमाना …
बहोत ही अच्छी गझल और बहोतही प्यारे अल्फाज़…मुबारक..
सपना
શ્રી દિલીપભાઈ
ખૂબ જ ભાવ ભર્યા શબ્દોથી હૃદય સ્પર્શી ગઝલ ખીલી ઊઠી છે.
રમેશ પટેલ(આકાશદીપ)
દિલીપભાઈ…આ કૃતિ વાંચીને મને કહેવાનું એ મન થઈ આવે છે…”,, ઈતના પ્યાર ઈન્સાન બનકર ઈન્સાનસે કર શકતા હૈ..ગર ઉતના પ્યાર અપને ભગવાનસે કરલે તો વો ક્યાસે ક્યા બન સકતા હૈ?