प्यारे दोस्तो, बहोत ही खुशी के साथ आपके सामने पेश करता हुं गझल, यही जिन्दगानी…जो कि हाल ही मेरे प्रिय शरतजी मल्होत्राने कंपोझ कर गाई और रेकार्ड की है..
उम्मिद है आपको पसंद आये और कलाकार का होंसला बढाते प्रतिभाव दे..यही भावना के साथ शेर करते है…
टेक्सास यु एस स्थित..शरतजी मल्होत्रा बहोत ही अच्छे कंपोझर है और रेकोर्डींग भी स्टुडिओमें करते है..उनका संगीत, गायीकि भीतर की गहराइओ को छु जाता है और हर शब्द मे जां भर देता है उनका मे दिल से धन्यवाद देता हुं और अभिनंदन भी कि उनकी ये कला उतरोत्तर बढती जाये और उंचाइके हर शीखर सर करती जाये…
-दिलीप
तुझे प्यार करना, तेरा प्यार पाना, यही िजन्दगानी
तेरी प्रीतका एक, मधुर गीत गाना, यही जिन्दगानी
यहांकी हरेक चीज, आनी है जानी, और फानी है फीर भी,
समन्दरमें गहरे, मुझे डुब जाना, यही जिन्दगानी
नजरको मिलाकर सभी गम भूलाकर ईसी पलमें जी लुं
नही सांसोका है कोई भी ठिकाना यही जिन्दगानी
सभीकुछ अधुरा, अलग था थलग था, मधुर अब सभीकुछ
िपयाके मिलनसे ना कुछ भी पुराना यही जिन्दगानी
चमनमें बहारे ,तो आती है जाती, खुशी और खीजांकी
फूलोसे ही सीखा सदा मुस्कुराना यही जिन्दगानी
यहा भीड है फीर भी सूने नगरकी सीमा पार करके
गगनमें जा उडना ऊत्सव मनाना यह िजन्दगानी
रहे बहता निर्झर सा जीवन तुम्हारा परम लक्ष पाने
ये अवसर मिला है ना यूही गवानां यही जिन्दगानी
DILIP GAJJAR
Image edited by Dilip Gajjar