Jab Charo Or andhera ho…Originally Sung by Manhar Udhas..Cover by myself.
और लिखी हुई एक स्वरचित कविता जीसे भी बाबा को मै अर्पण करता हुं
शायद आपको पसंद आये…
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उनकी प्रतिमा की छबी हमारे शहरके मंदिर से ही खिंची गई है,
Audio आप हेडफोन से बेहतर सुन सकते है
दिलीप
ये कैसी वर्षा बरसाई !!
खुशियोसे आँखे भर आयी !
पता नहीं कब कैसे भाई !
मनके भीतर उतरे साईं !
मर्कटमन वृत्ति बदलाइ
मनकी आँखे खोलो साई !
हर गलती तुमको दिखलाई
प्रकृति पगली शरमाई !
सबका मालिक एक ही भाई
प्रेरणा अदभुत तुमसे पाई
लेस्टर की है शान बढ़ाई
लो संस्कृति हर मुस्काई
द्वार निशाचर खड़ा था कोई
तुमने ही तो शरण दिलाई
दर्शन अविरत देते साईं
प्रश्न हमें है, आँखे पाई ?
बीन मांगे सब देती माई !
कैसे मांगू तुमसे साई ?
सुबहकी किरने श्रद्धा लाई
शब्र तमस को जीत पाई
राग द्वेषकी गहरी खाई !
तेरी प्रित दिलीप ने गाई !
बिना तेल सब ज्योति जलाई
आज दिवाली जल्दी आयी !